Tuesday, October 27, 2015

Is eating with mouth a crime?

Kerala House incident clearly shows the communal fervour of the central govt. A stupid man complaints about a reputed govt bldg and Delhi police acts immediately, raids the house with 20+ policemen. Beef getting served was such an important task to be noticed instead of lacs of pending complaints related to child and women safety.

The Delhi Police, for the first time came to know that even Buffalo meat also comes under 'Beef' category and that is not ban in the National Capital. Moreover Beef is mostly Ox and Buffalo meat (the male one), nobody eats the lactating animals. Similarly 'Murga' and 'Bakra' are mostly consumed not murgi and bakri :)

In Kerala most of the people are non vegetarians and beef is a very common and cheap source of food option. It is sold in registered govt shops there. I repeat 'Hindu' doesn't mean Brahmins and 'North Indian Hindus'. So DONOT generalise the very word and impose a particular food menu on others.

I am a Hindu too and I too eat beef when served a delicious dish. I am so proud to say that I eat with my mouth only. So do I deserve to be killed in this secular nation for having my own food choices.

Wednesday, October 14, 2015

धर्मनिरपेक्षता एक वरदान

मेरी मन में भी कभी १ प्रश्न था की,जब देश का बंटवारा धर्म के नाम पर हुआ,और पाकिस्तान एक मुस्लिम देश बना तो भारत क्यों हिन्दू देश नहीं बना... जबकि आज़ादी के वक़्त ८० फीसदी हिन्दू आबादी थी...क्यों इस देश को धर्म निरपेक्ष रखा गया... . उस प्रश्न का उत्तर अब भलीभांति मिल रहा है, तकरीबन रोज़....

हमारे संविधान निर्माता बेहद सुलझे हुए एवं दूर दर्शी थे, जिस तरह पाकिस्तान का हश्र आज दुनिया देख रही है, सऊदी अरब के कड़े क़ानून भी सब जानते है ...... और आज भारत जिन परिस्थितियों से रूबरू हो रहा है, जहाँ कुछ कट्टरपंथी हिन्दू संगठन, छद्म देश प्रेम के नाम पर सभ्रांत लोगों पर काला रंग फेक रहे हैं, अपने पसंद का भोजन करने पर जान ले रहे हैं,किसी नेता या पार्टी या संगठन विशेष के खिलाफ बोलने मात्र पर आपको देश द्रोही करार दिया जा रहा है, वैलेंटाइन्स डे पर, पार्कों में कुछ हिन्दू संगठनो का नवजवानों को तंग करते हैं, सगोत्र विवाह करने पर खूब खराबा करते हैं,खुद के त्योहारो पर जबरदस्ती चंदा वसूली, बे रोक टोक लाऊड स्पीकर बजाना, बीच सड़क झांकियां निकलना आदि आदि.......

देश के धर्म निरपेक्ष होने के बावजूद....ये सब हो रहा है..... देश यदि धर्म निरपेक्ष नहीं होता तो सोचो क्या हाल होता....बेशक साक्षी महाराज, साध्वी माताओं का राज होता..... .सनातन नैतिकता के प्रवचन आपके मुह में रोज़ जोर जबरदस्ती ठूंसे जाते .... कोई अचरज नहीं है की, लव मेरिज बैन हो जाती, लड़कियों को तो ड्रेस कोड थमा दिया जाता,शादी शुदा महिलाओं पर जबरदस्ती मंगल सूत्र, सिन्दूर, बिछियां  पहना दी जाती , सबके माथे पर शाकाहार भोजन लाद दिया जाता... आज विरोध करने पर सिर्फ काला रंग फ़ेंक रहे हैं.... कल एसिड फेंका जायेगा  और फेंकने वालों को पद्म श्री मिलेगा....

हिन्दू होना १ बात है.... लेकिन सही माने में धर्म निरपेक्षता के महत्व को समझना अति आवश्यक है.... आज बहुतायत हिन्दू आबादी भी विदेशों में बसी है... कभी सोचा है क्यों वे लोग वापस नहीं आना चाहते....इनमे ज्यादातर महिलाएं होती हैं जो वापस आना नहीं चाहती, क्यों की...सबसे बड़ी आज़ादी... कपडे पहनने की आज़ादी... इन देशों में ही होती है.... आपको कोई नहीं देखता न टोकता है... और इस देश में तो खुद के परिवार वाले ही.. कपड़ों की डिक्शनरी खोले बैठे होते हैं... भारत में बिछियां पहनने वालियां, सिन्दूर लगाने वाली, बुर्का पहनने वाली महिलाएं... विदेशों में ये सब करना क्यों बंद कर देती हैं.... कम्फर्ट की वज़ह से.. हैना ... अर्थ तो यही हुआ न की खुद के देश में ये सब.... जयदा तो दुनिया को दिखाने के लिए करना होता है..... फिर इन सबका क्या अर्थ?

खुद की ख़ुशी से ही समाज खुश रहता है.... और ख़ुशी आज़ादी से ही मिलती है.... और आज़ादी सिर्फ धर्म निरपेक्षता सेकुलरिज्म में ही होती है.. .. ये बात हम हिन्दुस्तानियों को समझनी होगी.... अभी तो हमें... हमारे देश में सही धर्म निरपेक्षता को चरम पर पहुचाना है..... अपने देश को सही मायने में आज़ाद करना है.....
एक बेहतर देश बनाना है... इसलिए ये हिन्दू राष्ट्र, मुस्लिम विरोध इनसब से ऊपर उठ के.... इस देश को आज़ाद लोगों के रहने लायक बनाने में एक जुट हों .....

Tuesday, October 6, 2015

हंगामा है क्यों बरपा.....

ये संगीत  सोम भाजप नेता... दादरी में अख्लाख़ की जगह.... आरोपियों के परिवार से मिल आये, कमाल का दिमाग पाया है घुटनो में  और इस असंवेदनशील मनुष्य के खिलाफ पार्टी का क्या कहना है?  और दूसरी "इनका यही हश्र " वाली साध्वी मैय्या... भगवा पहनी हो राम का नाम जपो, पर नहीं... कुछ न कुछ बकर करते रहना है....हिंसा को बढ़ावा देने वाला, हिंसा का समर्थन करने वाला ये कौनसा साधुत्व है?

इंसान की कोख में पलने वाली बच्ची को मारने वाला ये समाज.... क्या पढ़े लिखे और क्या गवार... इस महा नृशंस हत्याकांडों में सभी होते हैं भागीदार..... जब ये लोग गौ हत्या के सवाल पर पर किसी की हत्या करते हैं , सर पे खून सवार किये नज़र आते हैं तो बेहद हास्यास्पद लगता है.....गैय्या तुम सबकी मैय्या... हैना.....और तुम्हरी जोरू,या तुम्हरी बहुरिया के कोख में पल रही बच्ची वो किसकी है?  दोगले लोग

दम है इन लोगों में तो.... ऐसे ही मार के बताएं सरे आम उस परिवार को जो कोख में पलने वाली बेटियों के हत्यारे हो,जो लड़कियों पे एसिड के कायराना हमले करते हों.....है दम?

नहीं न...कायर . डरपोक भीड़... .. किसी ने बीफ क्या खा लिया हंगामा बरपा रखा है....इस देश में बहुतायत लोग बीफ खाते हैं....मुस्लिम, ईसाई ही नहीं कई हिन्दू भी.... हिन्दू समाज कोई अपर क्लास बामणो की बपौती नहीं है... हमारा भी है यही हिन्दू समाज ....

इतनी ही गाय माता है सबकी तो... ज़िन्दगी भर उसका दूध निकाल के जब बूढी होती है तो सड़क पर क्यों छोड़ देते हो... पोलिथिन चरने . काहेकि कोई काम की नहीं बची न अब माता .... क्या प्रेम है माँ के प्रति....

कब ये देश खाना मुह से खाना सीखेगा, भूख लगी है.... खाना जो सामने आये खाकर देखो... अच्छा लगा तो और खाओ.. नहीं अच्छा लगा न खाओ....पर कोई दूसरा क्या खाए.... क्या न खाए इस पर अपनी टीका टिप्पणी अपने पास धरो.... ये १ धर्म निरपेक्ष देश है और रहेगा...