Wednesday, October 14, 2015

धर्मनिरपेक्षता एक वरदान

मेरी मन में भी कभी १ प्रश्न था की,जब देश का बंटवारा धर्म के नाम पर हुआ,और पाकिस्तान एक मुस्लिम देश बना तो भारत क्यों हिन्दू देश नहीं बना... जबकि आज़ादी के वक़्त ८० फीसदी हिन्दू आबादी थी...क्यों इस देश को धर्म निरपेक्ष रखा गया... . उस प्रश्न का उत्तर अब भलीभांति मिल रहा है, तकरीबन रोज़....

हमारे संविधान निर्माता बेहद सुलझे हुए एवं दूर दर्शी थे, जिस तरह पाकिस्तान का हश्र आज दुनिया देख रही है, सऊदी अरब के कड़े क़ानून भी सब जानते है ...... और आज भारत जिन परिस्थितियों से रूबरू हो रहा है, जहाँ कुछ कट्टरपंथी हिन्दू संगठन, छद्म देश प्रेम के नाम पर सभ्रांत लोगों पर काला रंग फेक रहे हैं, अपने पसंद का भोजन करने पर जान ले रहे हैं,किसी नेता या पार्टी या संगठन विशेष के खिलाफ बोलने मात्र पर आपको देश द्रोही करार दिया जा रहा है, वैलेंटाइन्स डे पर, पार्कों में कुछ हिन्दू संगठनो का नवजवानों को तंग करते हैं, सगोत्र विवाह करने पर खूब खराबा करते हैं,खुद के त्योहारो पर जबरदस्ती चंदा वसूली, बे रोक टोक लाऊड स्पीकर बजाना, बीच सड़क झांकियां निकलना आदि आदि.......

देश के धर्म निरपेक्ष होने के बावजूद....ये सब हो रहा है..... देश यदि धर्म निरपेक्ष नहीं होता तो सोचो क्या हाल होता....बेशक साक्षी महाराज, साध्वी माताओं का राज होता..... .सनातन नैतिकता के प्रवचन आपके मुह में रोज़ जोर जबरदस्ती ठूंसे जाते .... कोई अचरज नहीं है की, लव मेरिज बैन हो जाती, लड़कियों को तो ड्रेस कोड थमा दिया जाता,शादी शुदा महिलाओं पर जबरदस्ती मंगल सूत्र, सिन्दूर, बिछियां  पहना दी जाती , सबके माथे पर शाकाहार भोजन लाद दिया जाता... आज विरोध करने पर सिर्फ काला रंग फ़ेंक रहे हैं.... कल एसिड फेंका जायेगा  और फेंकने वालों को पद्म श्री मिलेगा....

हिन्दू होना १ बात है.... लेकिन सही माने में धर्म निरपेक्षता के महत्व को समझना अति आवश्यक है.... आज बहुतायत हिन्दू आबादी भी विदेशों में बसी है... कभी सोचा है क्यों वे लोग वापस नहीं आना चाहते....इनमे ज्यादातर महिलाएं होती हैं जो वापस आना नहीं चाहती, क्यों की...सबसे बड़ी आज़ादी... कपडे पहनने की आज़ादी... इन देशों में ही होती है.... आपको कोई नहीं देखता न टोकता है... और इस देश में तो खुद के परिवार वाले ही.. कपड़ों की डिक्शनरी खोले बैठे होते हैं... भारत में बिछियां पहनने वालियां, सिन्दूर लगाने वाली, बुर्का पहनने वाली महिलाएं... विदेशों में ये सब करना क्यों बंद कर देती हैं.... कम्फर्ट की वज़ह से.. हैना ... अर्थ तो यही हुआ न की खुद के देश में ये सब.... जयदा तो दुनिया को दिखाने के लिए करना होता है..... फिर इन सबका क्या अर्थ?

खुद की ख़ुशी से ही समाज खुश रहता है.... और ख़ुशी आज़ादी से ही मिलती है.... और आज़ादी सिर्फ धर्म निरपेक्षता सेकुलरिज्म में ही होती है.. .. ये बात हम हिन्दुस्तानियों को समझनी होगी.... अभी तो हमें... हमारे देश में सही धर्म निरपेक्षता को चरम पर पहुचाना है..... अपने देश को सही मायने में आज़ाद करना है.....
एक बेहतर देश बनाना है... इसलिए ये हिन्दू राष्ट्र, मुस्लिम विरोध इनसब से ऊपर उठ के.... इस देश को आज़ाद लोगों के रहने लायक बनाने में एक जुट हों .....

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