Wednesday, July 1, 2015

Sardar ya Sarkar

हम हिन्दुस्तानियों की तकलीफ ही यही रही है....जो ज़रा जोर से चिल्ला दे उसकी बात सही लगने लगती है.....जैसे हर घर में कुछ भड़भड़िये रिश्तेदार होते हैना . .जो अपनी हर चीज़ को उत्तम बताने में लगे रहते है... उनकी बात न मानो तो टूट पड़ते है.... ठीक वैसे ही हाल इस मोदी सरदार उफ्फ्फ  सरकार का हो गया है.....बेहेनजिया देश से गदारी करें... तो ठीक....चुनाव आयोग में गलत हलफनामा दे.... तो भी ठीक....कुल मिला के ज़ोर जोर से भ्रष्टता को उत्तमता साबित करने में लगे है सारे.... और जनता धमकी बैठी है.....४०० साल की गुलामी का असर जो है.......बदलाव उर्फ़ विकास हो रहा है.... जनता को सुनाई देना चाहिए....मगर असलियत में होना नहीं चाहिए.....

भक्त कहते हैं विकास हो रहा है विकास हो रहा है.....उल्टा किसान के मुआवज़े को लेकर हो रहा हल्ला... नेपाल त्रासदी में ढांक दिया गया.....खुद के बच्चे भूखे मर गए.... और पिताजी दुसरो के बच्चों को रोटियां बाँट ते नज़र आये.....श्रीमान प्रधान मंत्री ....मंत्र देते नज़र आये की. . .किसान भाइयों को खेतों की मेड़ो पर फल दार वृक्ष लगाने चाहिए.... वाह जी.... वाह.... क्या उम्दा सुझाव है. ...८० फीसदी किसान बाहुल्य आबादी का PM ....ये तक न जान पाया की मेड पर पेड़ लगवाने से... .फसल ख़राब हो जाती है.....पेड़ो की छाँव के कारन..... पेड़ो की जड़ो के कारन. ....खैर ....दूसरा लाल बहादुर शास्त्री तो अब न मिल सकेगा इस देश को जो स्वयं प्रधान मंत्री आवास पर खेती किया करता था....और बिना दूसरा लाल आये इस किसान बाहुल्य देश का उतथान भी असंभव है.....ऐसे ही चले तो .मंडी न बन पाओगे कभी... .बाजार ही बन के रह जाओगे

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